रोबोट एक स्वचालित मशीन है जो इंसान की गतिविधियों को सुगमता से संपादित करने के लिए निर्मित किया गया है। यह एक तकनीकी उपकरण है जो सेंसर, माइक्रोप्रोसेसर, मोटर और तकनीकी यंत्रों का उपयोग करके कार्य करता है। रोबोट प्रोग्रामिंग द्वारा निर्देशित होता है और स्वत: चालित या दूसरे उपयोगकर्ताओं के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है। निर्माण, औद्योगिक, स्वास्थ्य सेवाएं, और संगठनों में कार्य को सुगम और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है और आगामी वर्षों में इसका उपयोग और विस्तार होने की उम्मीद है। रोबोट की इन्हीं विशेषताओं को इस कविता रोबोट पर खूबसूरत हिंदी कविता | Beautiful Poem on Robot के माध्यम से बुना गया है। हमें आशा है नए जमाने की यह रोबोट कविता आपको अवश्य पसंद आएगी।
रोबोट पर खूबसूरत हिंदी कविता
मानवकृत चलमान यंत्र
मशीनी तंत्र।
मानुष का ही यांत्रिक अवतरण
अद्भुत अलंकरण
चकित संसार
अद्भुत आविष्कार
विद्युतचालित मानव
यंत्रमानव।
हाड़ मांस रहित
धड़कन श्वास रहित
निरोगी
कर्म योगी
पत्थरी मूरत
भावशून्य सूरत
प्रचंड ताप, शीत लहर से बेअसर
उद्योगरत,कर्तव्य पथ पर अग्रसर
मानो बंधुआ मजदूर
बेबस ,लाचार, मजबूर
करता आंख मूंद अनुसरण
पर बना दे ना मानव का ही पाषाण अंतः करण
यद्यपि मानुषी विचार हैं सारगर्भित
पर कहीं हो ना जाए भ्रमित
रोबोट पर अधिकाधिक निर्भरता
शिथिल पड़ ना जाए मानवता
मंद पड़ जाए प्रेम रस का संचरण
पंगु कर दे आचरण- स्मरण
क्योंकि मनुज आज जो रचता
कल उसमें ही जा बसता
कल को यह भी
हो ना जाए मानव भी
संवेदना रहित
स्वप्न रहित
हाव-भाव रहित
असंयमित
विवेकशून्य
भावशून्य
कृत्रिम सा
यंत्रमानव सा।।
……… ‘अनु-प्रिया’
maanavakṛt chalamaan yantr
mashiinii tantra.
maanush kaa hii yaantrik avataraṇ
adbhut alankaraṇ
chakit samsaar
adbhut aavishkaar
vidyutachaalit maanav
yantramaanava.
haad maans rahit
dhadakan shvaas rahit
nirogii
karm yogii
pattharii muurat
bhaavashuuny suurat
prachanḍ taap, shiit lahar se beasar
udyogarat,kartavy path par agrasar
maano bandhuaa majaduur
bebas ,laachaar, majabuur
karataa aankh muund anusaraṇ
par banaa de naa maanav kaa hii paashaaṇ amtah karaṇ
yadyapi maanushii vichaar hain saaragarbhit
par kahiin ho naa jaae bhramit
roboṭ par adhikaadhik nirbharataa
shithil pad naa jaae maanavataa
mand pad jaae prem ras kaa sancharaṇ
pangu kar de aacharaṇ- smaraṇ
kyonki manuj aaj jo rachataa
kal usamen hii jaa basataa
kal ko yah bhii
ho naa jaae maanav bhii
samvedanaa rahit
svapn rahit
haav-bhaav rahit
asamyamit
vivekashuuny
bhaavashuuny
kṛtrim saa
yantramaanav saa..
…….Anupriya
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