मंगलवार व्रत कथा एक पवित्र और प्राचीन परंपरा है जो भक्तों को शक्ति, साहस और समृद्धि प्रदान करती है। यह व्रत भगवान हनुमान की भक्ति में रखा जाता है और इसे करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं। मंगलवार व्रत की कथा सुनने और इसका पालन करने से भक्तों को अद्भुत लाभ प्राप्त होते हैं। इस लेख में हम मंगलवार व्रत की विस्तृत कथा, इसके महत्व, पूजा विधि, और इससे जुड़े अन्य पहलुओं पर चर्चा करेंगे।
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मंगलवार व्रत कथा: प्राचीन काल की एक अद्भुत कहानी

प्राचीन काल की बात है। एक नगर में एक ब्राह्मण दंपत्ति रहता था। ब्राह्मण का नाम केशवदत्त और उसकी पत्नी का नाम अंजलि था। केशवदत्त के पास धन-संपत्ति की कोई कमी नहीं थी। नगर के सभी लोग उनका सम्मान करते थे, लेकिन एक बात थी जो उन्हें हमेशा दुखी रखती थी – उनके कोई संतान नहीं थी। संतान सुख से वंचित होने के कारण दोनों पति-पत्नी बहुत चिंतित रहते थे।
एक दिन उन्होंने निश्चय किया कि वे भगवान हनुमान की आराधना करेंगे और मंगलवार का व्रत रखेंगे। इस प्रकार दोनों ने हर मंगलवार को व्रत रखना शुरू किया। वे सुबह जल्दी उठते, स्नान करते, और हनुमान जी की पूजा करते। लाल फूल, सिंदूर, गुड़ और चने का प्रसाद चढ़ाते। इस तरह कई वर्ष बीत गए, लेकिन उन्हें संतान का सुख प्राप्त नहीं हुआ। केशवदत्त निराश हो गया, लेकिन उसने व्रत करना नहीं छोड़ा।
कुछ समय बाद केशवदत्त हनुमान जी की पूजा करने के लिए जंगल में चला गया। उसकी पत्नी अंजलि घर में रहकर मंगलवार का व्रत करने लगी। एक बार ऐसा हुआ कि एक मंगलवार को अंजलि किसी कारणवश हनुमान जी को भोग नहीं लगा सकी। इस बात का उसे बहुत खेद था। उसने निश्चय किया कि अगले मंगलवार को ही वह हनुमान जी को भोग लगाकर भोजन करेगी।
वह छह दिन तक भूखी-प्यासी रही। सातवें दिन मंगलवार को उसने हनुमान जी की पूजा की, लेकिन भूख और प्यास के कारण वह बेहोश हो गई। तभी हनुमान जी ने उसे स्वप्न में दर्शन दिए और कहा, “उठो पुत्री! मैं तुम्हारी भक्ति और तपस्या से बहुत प्रसन्न हूं। तुम्हें एक सुंदर और सुयोग्य पुत्र का वरदान देता हूं।” यह कहकर हनुमान जी अंतर्धान हो गए।
अंजलि ने तुरंत उठकर हनुमान जी को भोग लगाया और स्वयं भोजन किया। हनुमान जी की कृपा से कुछ समय बाद अंजलि ने एक सुंदर बालक को जन्म दिया। चूंकि बालक का जन्म मंगलवार को हुआ था, इसलिए उसका नाम मंगलप्रसाद रखा गया।
कुछ दिनों बाद केशवदत्त जंगल से घर लौटा। उसने मंगलप्रसाद को देखा तो अंजलि से पूछा, “यह सुंदर बालक किसका है?” अंजलि ने खुश होकर हनुमान जी के दर्शन और पुत्र प्राप्ति के वरदान की पूरी कहानी सुनाई। लेकिन केशवदत्त को उसकी बात पर विश्वास नहीं हुआ। उसके मन में यह कलुषित विचार आया कि अंजलि ने उसके साथ विश्वासघात किया है और अपने पापों को छिपाने के लिए झूठ बोल रही है।
केशवदत्त ने बालक को मार डालने की योजना बनाई। एक दिन वह स्नान करने कुएं पर गया और मंगलप्रसाद को भी साथ ले गया। मौका देखकर उसने मंगलप्रसाद को कुएं में फेंक दिया और घर आकर बहाना बनाया कि मंगलप्रसाद तो कुएं पर उसके पास आया ही नहीं। केशवदत्त के इतना कहने के ठीक बाद मंगलप्रसाद दौड़ता हुआ घर लौट आया।
मंगलप्रसाद को जीवित देखकर केशवदत्त बहुत हैरान हुआ। उसी रात हनुमान जी ने उसे स्वप्न में दर्शन दिए और कहा, “तुम दोनों के मंगलवार के व्रत करने से प्रसन्न होकर मैंने ही तुम्हें यह पुत्र दिया था। फिर तुम अपनी पत्नी पर संदेह क्यों करते हो?”
यह सुनकर केशवदत्त की आंखें खुल गईं। उसने तुरंत अंजलि को जगाया और उससे क्षमा मांगी। उसने स्वप्न में हनुमान जी के दर्शन और उनके कहे अनुसार सारी बातें बताई। केशवदत्त ने अपने बेटे को हृदय से लगा लिया और उसे बहुत प्यार किया। उस दिन के बाद सभी आनंदपूर्वक रहने लगे। मंगलवार का व्रत करने से केशवदत्त और अंजलि के सभी कष्ट दूर हो गए।
मंगलवार व्रत का महत्व और लाभ
मंगलवार व्रत हिंदू धर्म में एक विशेष स्थान रखता है। यह व्रत primarily भगवान हनुमान को समर्पित है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में इसे भगवान गणेश या मंगल ग्रह (Mars) की उपासना के लिए भी रखा जाता है। मंगलवार का दिन हनुमान जी का दिन माना जाता है और इस दिन उनकी पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं।
मंगलवार व्रत रखने के numerous benefits हैं। यह व्रत भक्तों को शक्ति, साहस और बल प्रदान करता है। हनुमान जी की कृपा से सभी प्रकार के संकट और बाधाएं दूर होती हैं। इस व्रत को करने से financial problems, health issues, और marital problems का समाधान होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मंगल ग्रह के अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए भी यह व्रत very effective है।
मंगलवार व्रत का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह भक्तों को mental peace और spiritual strength प्रदान करता है। हनुमान जी की भक्ति से भक्तों का आत्मविश्वास बढ़ता है और उनमें नई ऊर्जा का संचार होता है। इस व्रत को नियमित रूप से करने वाले भक्तों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
मंगलवार व्रत के कुछ प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं:
- मंगल दोष का निवारण
- शक्ति और साहस की प्राप्ति
- आर्थिक समस्याओं का समाधान
- वैवाहिक जीवन में सुख-शांति
- नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा
- स्वास्थ्य लाभ
- मानसिक शांति और आत्मविश्वास
मंगलवार व्रत की पूजा विधि

मंगलवार व्रत की पूजा विधि बहुत ही सरल और साध्य है। इस व्रत को करने के लिए भक्तों को कुछ basic steps follow करने होते हैं। आइए जानते हैं मंगलवार व्रत की संपूर्ण पूजा विधि:
सबसे पहले सुबह जल्दी उठें और स्नान करें। स्नान के बाद clean clothes पहनें। पूजा स्थल को साफ करें और वहां हनुमान जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। हनुमान जी को सिंदूर, लाल फूल, गुड़ और चने का प्रसाद अर्पित करें। एक दीया जलाएं और उसमें सरसों का तेल या घी डालें।
हनुमान चालीसा या बजरंग बाण का पाठ करें। आप “ॐ हनुमते नमः” मंत्र का जाप भी कर सकते हैं। पूजा के बाद मंगलवार व्रत कथा सुनें या पढ़ें। दिन भर व्रत रखें और शाम को पूजा के बाद ही भोजन करें। व्रत में नमक और अन्न का सेवन न करें। फल, दूध, साबुदाना, और व्रत के अन्य खाद्य पदार्थ खा सकते हैं।
मंगलवार व्रत की पूजा में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए। इस दिन floor नहीं लीपना चाहिए और mud नहीं खोदना चाहिए। लाल रंग के वस्त्र पहनने चाहिए और लाल रंग की ही offerings चढ़ानी चाहिए। हनुमान जी को besan के लड्डू या गुड़-चना का प्रसाद चढ़ाना especially beneficial माना जाता है।
मंगलवार व्रत कथा का आध्यात्मिक महत्व
मंगलवार व्रत कथा केवल एक कहानी नहीं है, बल्कि इसमें गहरा आध्यात्मिक महत्व छिपा है। यह कथा हमें सिखाती है कि true devotion और faith के द्वारा हम किसी भी समस्या का समाधान पा सकते हैं। केशवदत्त और अंजलि की कहानी हमें यह संदेश देती है कि निरंतर भक्ति और विश्वास से ईश्वर की कृपा अवश्य प्राप्त होती है।
इस कथा का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसमें हनुमान जी की शक्ति और कृपा का वर्णन किया गया है। हनुमान जी भक्तों के सभी कष्टों को दूर करते हैं और उन्हें मनोवांछित फल प्रदान करते हैं। कथा में वर्णित घटनाएं हमें यह शिक्षा देती हैं कि ईश्वर पर संदेह नहीं करना चाहिए और उनकी इच्छा को सदैव स्वीकार करना चाहिए।
मंगलवार व्रत कथा का आध्यात्मिक महत्व इस बात में भी निहित है कि यह हमें patience और perseverance की शिक्षा देती है। केशवदत्त और अंजलि ने कई वर्षों तक व्रत रखा, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। अंत में उन्हें हनुमान जी की कृपा प्राप्त हुई। इस प्रकार यह कथा हमें सिखाती है कि हमें कभी भी हार नहीं माननी चाहिए और निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए।
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मंगलवार व्रत में क्या खाएं और क्या न खाएं
मंगलवार व्रत में कुछ विशेष खाद्य पदार्थों का सेवन किया जाता है और कुछ चीजों को avoid किया जाता है। व्रत के दौरान सात्विक आहार लेना चाहिए और तामसिक भोजन से दूर रहना चाहिए। आइए जानते हैं मंगलवार व्रत में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं:
व्रत में खाए जाने वाले खाद्य पदार्थ:
- फल और फलों का रस
- दूध और दूध से बने products
- साबुदाना की खिचड़ी या खीर
- आलू की recipes
- मूंगफली और dry fruits
- कुट्टू का आटा
- सिंघाड़े का आटा
- व्रत के नमक (sendha namak) का use
व्रत में न खाए जाने वाले खाद्य पदार्थ:
- नमक (regular salt)
- चावल, गेहूं और दालें
- प्याज और लहसुन
- मांस और मदिरा
- तेल में तले हुए foods
व्रत के दौरान हल्का और सात्विक भोजन करना चाहिए। भोजन में अधिक मात्रा में fruits और liquids लेने चाहिए। evening में पूजा के बाद ही भोजन करना चाहिए। व्रत तोड़ने से पहले हनुमान जी को भोग लगाना न भूलें।
श्री हनुमान चालीसा( Hanuman Chalisa Hindi)
दोहा
श्रीगुरु चरण सरोज रज निज मनु मुकुर सुधारि ।
बरनऊ रघुवर विमल जसु जो दायकु फल चारि ।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौ पवन कुमार ।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेश विकार ।।
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥१॥
राम दूत अतुलित बल धामा ।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥२॥
महावीर विक्रम बजरंगी ।
कुमति निवार सुमति के संगी ॥३॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा ।
कानन कुंडल कुँचित केसा ॥४॥
हाथ वज्र औ ध्वजा बिराजे ।
काँधे मूँज जनेऊ साजे ॥५॥
शंकर सुवन केसरी नंदन ।
तेज प्रताप महा जग वंदन ॥६॥
विद्यावान गुणी अति चातुर ।
राम काज करिबे को आतुर ॥७॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।
राम लखन सीता मनबसिया ॥८॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा ।
बिकट रूप धरि लंक जरावा ॥९॥
भीम रूप धरि असुर संहारे ।
रामचंद्र के काज सवाँरे ॥१०॥
लाय संजीवन लखन जियाए ।
श्री रघुबीर हरषि उर लाए ॥११॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई ।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥१२॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावै ।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावै ॥१३॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।
नारद सारद सहित अहीसा ॥१४॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।
कवि कोविद कहि सके कहाँ ते ॥१५॥
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा ।
राम मिलाय राज पद दीन्हा ॥१६॥
तुम्हरो मंत्र विभीषण माना ।
लंकेश्वर भये सब जग जाना ॥१७॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू ।
लील्यो ताहि मधुर फ़ल जानू ॥१८॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही ।
जलधि लाँघि गए अचरज नाही ॥१९॥
दुर्गम काज जगत के जेते ।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥२०॥
राम दुआरे तुम रखवारे ।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥२१॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना ।
तुम रक्षक काहू को डरना ॥२२॥
आपन तेज सम्हारो आपै ।
तीनहूं लोक हाँक ते काँपै ॥२३॥
भूत पिशाच निकट नहि आवै ।
महावीर जब नाम सुनावै ॥२४॥
नासै रोग हरे सब पीरा ।
जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥२५॥
संकट तें हनुमान छुडावै ।
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै ॥२६॥
सब पर राम तपस्वी राजा ।
तिनके काज सकल तुम साजा ॥२७॥
और मनोरथ जो कोई लावै ।
सोइ अमित जीवन फल पावै ॥२८॥
चारों जुग परताप तुम्हारा ।
है परसिद्ध जगत उजियारा ॥२९॥
साधु संत के तुम रखवारे ।
असुर निकंदन राम दुलारे ॥३०॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता ।
अस बर दीन जानकी माता ॥३१॥
राम रसायन तुम्हरे पासा ।
सदा रहो रघुपति के दासा ॥३२॥
तुम्हरे भजन राम को पावै ।
जनम जनम के दुख बिसरावै ॥३३॥
अंतकाल रघुवरपुर जाई ।
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥३४॥
और देवता चित्त ना धरई ।
हनुमत सेई सर्व सुख करई ॥३५॥
संकट कटै मिटै सब पीरा ।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥३६॥
जै जै जै हनुमान गोसाई ।
कृपा करहु गुरु देव की नाई ॥३७॥
यह सतबार पाठ कर जोई ।
छूटहि बंदि महा सुख होई ॥३८॥
जो यह पढ़े हनुमान चालीसा ।
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥३९॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा ।
कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ॥४०॥
।। दोहा ।।
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप ।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ॥
|| सियावर रामचन्द्र की जय ||
|| पवनसुत हनुमान की जय ||
|| उमापति महादेव की जय ||
|| सभा पति तुलसीदास की जय ||
|| वृंदावन विहारी लाल की जय ||
|| हर हर हर महादेव शिव शम्भो शंकरा ||
Sankatmochan Hanuman Ashtak ( संकटमोचन हनुमानाष्टक)

बाल समय रवि भक्ष लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारों।
ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो।
देवन आनि करी बिनती तब, छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो।
चौंकि महामुनि साप दियो तब, चाहिए कौन बिचार बिचारो।
कै द्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के सोक निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु, बिना सुधि लाये इहां पगु धारो।
हेरी थके तट सिन्धु सबे तब, लाए सिया-सुधि प्राण उबारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
रावण त्रास दई सिय को सब, राक्षसी सों कही सोक निवारो।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाए महा रजनीचर मरो।
चाहत सीय असोक सों आगि सु, दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
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बान लाग्यो उर लछिमन के तब, प्राण तजे सूत रावन मारो।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो।
आनि सजीवन हाथ दिए तब, लछिमन के तुम प्रान उबारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
रावन युद्ध अजान कियो तब, नाग कि फांस सबै सिर डारो।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो।
आनि खगेस तबै हनुमान जु, बंधन काटि सुत्रास निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
बंधू समेत जबै अहिरावन, लै रघुनाथ पताल सिधारो।
देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि, देउ सबै मिलि मंत्र विचारो।
जाये सहाए भयो तब ही, अहिरावन सैन्य समेत संहारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
काज किए बड़ देवन के तुम, बीर महाप्रभु देखि बिचारो।
कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसे नहिं जात है टारो।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होए हमारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
।। दोहा। ।
लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर।
वज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर।।
Hanuman Bajrand Baan Lyrics( बजरंगबाण)

दोहा
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान ।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करें हनुमान ॥
चौपाई : –
जय हनुमन्त संत हितकारी ।य
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ।।
जन के काज बिलम्ब न कीजै ।
आतुर दौरि महासुख दीजै ।।
जैसे कूदी सिन्धु महि पारा ।
सुरसा बदन पैठी विस्तारा ।।
आगे जाय लंकिनी रोका ।
मारेहु लात गई सुर लोका ।।
जाय विभीषण को सुख दीन्हा ।
सीता निरखि परम-पद लीना ।।
बाग उजारि सिन्धु मह बोरा ।
अति आतुर जमकातर तोरा ।।
अक्षय कुमार मारि संहारा ।
लूम लपेटि लंक को जारा ।।
लाह समान लंक जरि गई ।
जय-जय धुनि सुरपुर में भई ।।
अब बिलम्ब केहि कारन स्वामी ।
कृपा करहु उर अन्तर्यामी ।।
जय जय लखन प्रान के दाता ।
आतुर होई दु:ख करहु निपाता ।।
जै गिरिधर जै जै सुख सागर ।
सुर-समूह-समरथ भट-नागर॥
ओम हनु हनु हनु हनुमंत हठीले ।
बैरिहि मारु बज्र की कीले॥
गदा बज्र लै बैरिहि मारो ।
महाराज प्रभु दास उबारो ।।
ओंकार हुंकार महाप्रभु धाओ ।
बज्र गदा हनु विलम्ब न लाओ ।।
ओम ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा ।
ओम हुं हुं हुं हनु अरि उर-सीसा॥
सत्य होहु हरी शपथ पायके ।
राम दूत धरु मारू जायके
जय जय जय हनुमन्त अगाधा ।
दुःख पावत जन केहि अपराधा ।।
पूजा जप-तप नेम अचारा ।
नहिं जानत हो दास तुम्हारा ।।
वन उपवन मग गिरि गृह मांहीं ।
तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं ।।
पायं परौं कर जोरी मनावौं ।
येहि अवसर अब केहि गोहरावौं ।।
जय अंजनी कुमार बलवंता ।
शंकर सुवन वीर हनुमंता ।।
बदन कराल काल कुलघालक।
राम सहाय सदा प्रतिपालक ।।
भूत प्रेत पिसाच निसाचर।
अगिन वैताल काल मारी मर ।।
इन्हें मारु, तोहि शपथ राम की ।
राखउ नाथ मरजाद नाम की ।।
जनकसुता हरि दास कहावो ।
ताकी शपथ विलम्ब न लावो ।।
जै जै जै धुनि होत अकासा ।
सुमिरत होत दुसह दुःख नासा ।।
चरण शरण कर जोरि मनावौं ।
यहि अवसर अब केहि गोहरावौं ।।
उठु उठु चलु तोहि राम-दोहाई ।
पायँ परौं, कर जोरि मनाई ।।
ओम चं चं चं चं चपल चलंता ।
ओम हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता ।।
ओम हं हं हाँक देत कपि चंचल ।
ओम सं सं सहमि पराने खल-दल ।।
अपने जन को तुरत उबारौ ।
सुमिरत होय आनंद हमारौ ।।
यह बजरंग बाण जेहि मारै।
ताहि कहो फिर कोन उबारै ।।
पाठ करै बजरंग बाण की ।
हनुमत रक्षा करैं प्रान की ।।
यह बजरंग बाण जो जापैं ।
ताते भूत-प्रेत सब कापैं ।।
धूप देय अरु जपै हमेशा ।
ताके तन नहिं रहै कलेसा ।।
दोहा :
प्रेम प्रतीतिहि कपि भजै, सदा धरै उर ध्यान ।
तेहि के कारज सकल सुभ, सिद्ध करैं हनुमान ।।
मंगलवार व्रत के मंत्र और आरती (Hanuman ji ki Aarti)

मंगलवार व्रत के दौरान कुछ विशेष मंत्रों और आरतियों का पाठ करना very beneficial माना जाता है। इन मंत्रों के जाप से हनुमान जी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है। आइए जानते हैं मंगलवार व्रत के कुछ प्रमुख मंत्र और आरती:
मंगलवार व्रत के मंत्र:
ॐ हनुमते नमः
ॐ अंजनीसुताय नमः
ॐ महाबलाय नमः
ॐ रामदूताय नमः
ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः
हनुमान चालीसा का पाठ मंगलवार के दिन especially beneficial है। इसके अलावा बजरंग बाण, सुंदरकांड, और हनुमान बाहुक का पाठ भी कर सकते हैं।
हनुमान जी की आरती:
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई। सन्तन के प्रभु सदा सहाई॥
दे वीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारि सिया सुधि लाए॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई॥
लंका जारि असुर संहारे। सियारामजी के काज सवारे॥
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आनि संजीवन प्राण उबारे॥
पैठि पाताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखारे॥
बाईं भुजा असुर संहारे। दाहिने भुजा सन्त उबारे॥
सुर नर मुनि जन आरती उतारे। जय जय जय हनुमान उचारे॥
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई॥
जो हनुमानजी की आरती गावे। बसि बैकुण्ठ परमपद पावे॥
लंक विध्वंस किये रघुराई। तुलसीदास स्वामी आरति गाई॥
मंगलवार व्रत से जुड़ी अन्य कथाएं
मंगलवार व्रत से जुड़ी कई अन्य कथाएं भी प्रचलित हैं। इन कथाओं में भी हनुमान जी की भक्ति और उनकी कृपा का वर्णन किया गया है। आइए जानते हैं मंगलवार व्रत से जुड़ी कुछ अन्य popular कथाएं:
एक अन्य कथा के अनुसार, एक गरीब ब्राह्मण दंपत्ति थे जो बहुत दुखी थे। एक संत ने उन्हें मंगलवार व्रत करने की सलाह दी। उन्होंने नियमित रूप से व्रत किया और हनुमान जी की पूजा की। कुछ समय बाद हनुमान जी ने उन्हें स्वप्न में दर्शन दिए और उनके सभी दुख दूर कर दिए। उनका जीवन सुख और समृद्धि से भर गया।
एक और कथा में एक वृद्ध महिला और उसके पुत्र मंगलिया की कहानी है। वृद्धा हर मंगलवार को हनुमान जी का व्रत रखती थी। एक बार हनुमान जी ने उसकी भक्ति की परीक्षा लेने का निश्चय किया। वे साधु का वेश बनाकर उसके घर पहुंचे और उससे कहा कि वह अपने पुत्र की पीठ पर भोजन बनाने दे। वृद्धा ने initially मना किया, लेकिन बाद में मान गई। हनुमान जी ने मंगलिया की पीठ पर आग जलाई और भोजन बनाया। भोजन बनाने के बाद जब उन्होंने मंगलिया को पुकारा तो वह हंसता हुआ बाहर आ गया। इस प्रकार हनुमान जी ने उसकी भक्ति की परीक्षा ली और उसे आशीर्वाद दिया।
इन कथाओं का सार यह है कि हनुमान जी अपने भक्तों की सभी परीक्षाएं लेते हैं और उन्हें उनकी भक्ति के अनुसार फल प्रदान करते हैं। सच्ची भक्ति और विश्वास से हनुमान जी की कृपा अवश्य प्राप्त होती है।
मंगलवार व्रत के नियम और सावधानियां

मंगलवार व्रत रखते समय कुछ नियमों और सावधानियों का पालन करना आवश्यक है। इन नियमों का पालन करने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है। आइए जानते हैं मंगलवार व्रत के कुछ प्रमुख नियम और सावधानियां:
व्रत के नियम:
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें
- साफ वस्त्र पहनें, preferably लाल रंग के
- हनुमान जी की पूजा विधिवत करें
- लाल फूल, सिंदूर, गुड़ और चना चढ़ाएं
- हनुमान चालीसा या बजरंग बाण का पाठ करें
- व्रत कथा सुनें या पढ़ें
- दिन भर उपवास रखें
- शाम को पूजा के बाद ही भोजन करें
- व्रत में नमक और अन्न का सेवन न करें
सावधानियां:
- इस दिन floor न लीपें
- मिट्टी न खोदें
- क्रोध और negative thoughts से दूर रहें
- सात्विक आहार लें
- अधिक talking से बचें
- मानसिक शांति बनाए रखें
- भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण रखें
इन नियमों का पालन करने से व्रत का पूर्ण लाभ प्राप्त होता है। व्रत के दौरान मन को शांत रखना और भगवान के प्रति पूर्ण विश्वास रखना very important है।
मंगलवार व्रत का ज्योतिषीय महत्व
मंगलवार व्रत का ज्योतिष शास्त्र में विशेष महत्व है। हिंदू ज्योतिष के अनुसार, मंगलवार का दिन मंगल ग्रह (Mars) को समर्पित है। मंगल ग्रह को energy, strength, और courage का प्रतीक माना जाता है। ज्योतिष में मंगल ग्रह के अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए मंगलवार व्रत very effective माना जाता है।
जिन individuals की कुंडली में मंगल दोष (Mangal Dosha) होता है, उन्हें विशेष रूप से मंगलवार व्रत रखने की सलाह दी जाती है। मंगल दोष के कारण विवाह में विलंब, वैवाहिक जीवन में कठिनाइयां, और financial problems हो सकती हैं। मंगलवार व्रत रखने और हनुमान जी की पूजा करने से मंगल दोष के negative effects कम होते हैं।
मंगल ग्रह के अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए कुछ विशेष उपाय भी किए जाते हैं। इनमें लाल रंग के वस्त्र पहनना, लाल फूल चढ़ाना, और “ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः” मंत्र का जाप करना शामिल है। हनुमान जी की पूजा करने से मंगल ग्रह के सभी अशुभ प्रभाव दूर होते हैं और जीवन में सुख-शांति आती है。
मंगलवार व्रत के विभिन्न प्रकार
मंगलवार व्रत कई प्रकार का होता है। भक्त अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार अलग-अलग प्रकार के व्रत रख सकते हैं। आइए जानते हैं मंगलवार व्रत के कुछ प्रमुख प्रकार:
1. निर्जल व्रत: इसमें भक्त पूरे दिन बिना पानी पिए व्रत रखते हैं। यह व्रत बहुत कठिन माना जाता है और only very devoted भक्त ही इसे रखते हैं。
2. फलाहार व्रत: इसमें भक्त केवल फल और फलों का रस ग्रहण करते हैं। यह व्रत relatively easy है और अधिकांश भक्त इसी प्रकार का व्रत रखते हैं。
3. एक समय भोजन व्रत: इसमें भक्त दिन में केवल एक बार भोजन करते हैं। यह व्रत उन लोगों के लिए suitable है जो पूर्ण उपवास नहीं रख सकते。
4. सोलह सोमवार व्रत: कुछ भक्त लगातार सोलह मंगलवार तक व्रत रखते हैं। इस व्रत को करने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं。
5. संकटमोचन व्रत: यह व्रत विशेष रूप से troubles को दूर करने के लिए रखा जाता है। इसमें हनुमान जी की विशेष पूजा की जाती है。
भक्त अपनी ability और faith के according किसी भी प्रकार का व्रत रख सकते हैं। महत्वपूर्ण यह है कि व्रत पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ किया जाए。
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्रश्न 1: मंगलवार व्रत किसके लिए रखा जाता है?
उत्तर: मंगलवार व्रत primarily भगवान हनुमान को समर्पित है। इसके अलावा इसे मंगल ग्रह के अशुभ प्रभावों को दूर करने और भगवान गणेश की उपासना के लिए भी रखा जाता है।
प्रश्न 2: क्या मंगलवार व्रत में नमक खा सकते हैं?
उत्तर: नहीं, मंगलवार व्रत में regular salt का सेवन नहीं करना चाहिए। आप व्रत के नमक (sendha namak) का use कर सकते हैं।
प्रश्न 3: मंगलवार व्रत कब तक रखना चाहिए?
उत्तर: मंगलवार व्रत आमतौर पर 16, 21, या 41 मंगलवार तक रखा जाता है। some people इसे निरंतर रखते हैं।
प्रश्न 4: क्या महिलाएं मंगलवार व्रत रख सकती हैं?
उत्तर: हां, महिलाएं और पुरुष दोनों ही मंगलवार व्रत रख सकते हैं। इस व्रत को करने से सभी को लाभ प्राप्त होता है।
प्रश्न 5: मंगलवार व्रत में कौन से मंत्र का जाप करें?
उत्तर: मंगलवार व्रत में “ॐ हनुमते नमः” मंत्र का जाप करना very beneficial है। इसके अलावा हनुमान चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं।
निष्कर्ष
मंगलवार व्रत कथा एक अद्भुत और चमत्कारिक कहानी है जो भक्तों को ईश्वर की शक्ति और कृपा का अनुभव कराती है। इस लेख में हमने मंगलवार व्रत की विस्तृत कथा, इसके महत्व, पूजा विधि, और अन्य पहलुओं पर चर्चा की। हमने जाना कि मंगलवार व्रत कैसे भक्तों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाता है।
मंगलवार व्रत केवल एक religious practice नहीं है, बल्कि यह एक spiritual journey है जो भक्तों को inner strength और peace प्रदान करता है। हनुमान जी की भक्ति से भक्तों के सभी संकट दूर होते हैं और उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में success प्राप्त होती है।
आशा है कि इस लेख को पढ़कर आप मंगलवार व्रत के महत्व को समझ गए होंगे। यदि आप अपने जीवन में किसी भी प्रकार की समस्या का सामना कर रहे हैं, तो मंगलवार व्रत रखना शुरू करें। हनुमान जी की कृपा से आपके सभी कष्ट अवश्य दूर होंगे और आपका जीवन सुखमय होगा।
जय श्री राम! जय हनुमान!

